गुणत्रयविभागयोग » भगवत्प्राप्ति का उपाय और गुणातीत पुरुष के लक्षण नान्यं गुणेभ्यः कर्तारं यदा द्रष्टानुपश्यति । गुणेभ्यश्च परं वेत्ति मद्भावं सोऽधिगच्छति ॥१९॥ भावार्थ : जिस समय दृष्टा तीनों गुणों के अतिरिक्त अन्य किसी को कर्ता नहीं देखता और तीनों गुणों से अत्यन्त परे सच्चिदानन्दघनस्वरूप मुझ परमात्मा को तत्त्व...
Read More...