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Hindu Mantavya: October 2015
HinduMantavya
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आर्य समाज मत खंडन की पुस्तकें ( Arya Samaj Mat Khandan Books In Pdf )

आर्य समाज मत खंडन पुस्तक संग्रह : यँहा  आर्य समाज मत खंडन की कुछ पुस्तकें दी गई  है  इसमें से कुछ  पुस्तक काफी महत्वपूर्ण  है  जैसे पंडित ज्वाला प्रसाद द्वारा लिखी गई "दयानंद तिमिर भास्कर" इसमे पंडित जी ने  सत्यार्थ प्रकाश का पूरा खंडन कर गपोड़ेबाज दयानंद का पर्दाफाश किया है  इसी प्रकार...

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Vedic Library ( Read And Download Veada )

वेद क्या हैं? - संशिप्त परिचय वेद मानव सभ्यता के लगभग सबसे पुराने लिखित दस्तावेज हैं! वेद ही हिन्दू धर्म के सर्वोच्च और सर्वोपरि धर्मग्रन्थ हैं!  सामान्य भाषा में वेद का अर्थ है "ज्ञान" ! वस्तुत: ज्ञान वह प्रकाश है जो मनुष्य-मन के अज्ञान-रूपी अन्धकार को नष्ट कर देता है...

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Download Ebooks ( Veda & Other Ebooks )

वेद ☛ ऋग्वेद (Rigveda Samhita) ऋग्वेद सबसे पहला वेद है। इसमें धरती की भौगोलिक स्थिति, देवताओं के आवाहन के मंत्र हैं। इस वेद में १०२८ सुक्त है जिनमें कुल १०,६०० ऋचाएँ और १० मंडल हैं  ऋग्वेद की ऋचाओं में देवताओं की प्रार्थना, स्तुतियाँ और देवलोक में उनकी स्थिति का...

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आर्य का मतलब होता है श्रेष्ठ

कुछ लोग खुद को इसलिए आर्य कहते है क्योंकि इस देश का नाम कभी आर्यव्रत होता था रामायण महाभारत मे भी आर्य का सम्बोधन आया है ।। मगर क्या ये संबोधन क्या किसी भी व्यक्ति विशेष के लिए था ??या उस वक़्त के लोग खुद को आर्य (...

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क्या चाणक्य मूर्तिपूजा विरोधी थे ? ( Arya Samaj Mat Khandan )

आर्य समाजी इस पोस्ट का खंडन करके दिखाए !आर्य समाजी हमेशा यह तर्क देते है कि महान ‪‎आचार्य_चाणक्य‬ मूर्तिपूजा विरोधी थे,लेकिन अपने पंथ को चलाए रखने के लिए ये इसी तरह के कई कुतर्क करते रहते है जो बिल्कुल निराधार साबित होते आए है-प्रश्न- चाणक्य मूर्तिपूजा विरोधी थे...

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दयानंद की मक्कारी ( Dayanand Ki Makkari )

दयानंद की मक्कारी किसी से छुपी नहीं है दयानंद ने  अपना स्वार्थ सिद्ध  करने के लिए पवित्र वेदो को भी नहीं छोड़ा अपनी गंदी सोच वेदों में भी डालने का प्रयास किया ।  दयानंद सत्यार्थ प्रकाश चतुर्थ सम्मुलास में लिखते है   इमां त्वमिन्द्र मीढ्वः सुपुत्रां सुभगां कृणु। दशास्यां पुत्राना धेहि...

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आर्य समाज का वैदिक ढोंग ( Arya Samaj Ka Vedic Dhong )

  आज आर्य समाज ये कहते हुए नही थकता की हम वैदिक है । हमारा आचरण वैदिक है आइये एक नजर डालते है इनके वैदिक कारनामो पर । हम सब जानते है की आर्य मंदिर मे प्रेमी जोड़े की शादिया आर्य समाज करवाता है । बहुत अच्छी बात...

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असत्यवादी महाधूर्त दयानंद ( Astaywadi Mahadhurt Dayananad )

सत्यार्थ प्रकाश प्रथम समुल्लास मंगलचरण न करने का खंडन ___________________________________ (प्रश्न) जैसे अन्य ग्रन्थकार लोग आदि, मध्य और अन्त में मंगलाचरण करते हैं वैसे आपने कुछ भी न लिखा, न किया? ... (उत्तर) ऐसा हम को करना योग्य नहीं। क्योंकि जो आदि, मध्य और अन्त में मंगल करेगा...

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सनातन धर्म के दीमक- आर्य समाज ( Sanatan Dharm Ka Dimak Arya Samaj )

साथियो, आप सभी को एक बात बताना चाहता हूँ की पिछले १५० -२०० वर्षो में सनातन धर्म को तोड़ने में जितना योगदान “आर्य समाज” का रहा उतना किसी और का नहीं रहा । ये लोग खुद को वैदिक धर्म के रक्षक और प्रचारक कहते है मै आज इनसे कुछ...

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क्या क्रांतिकारी आर्यसमाज से थे ? ( Arya Samaji Gapoda )

आर्यसमाजी गपोड़ा : आर्यसमाजी अक्सर एक गप्प मारते हैं कि – स्वतन्त्रता आंदोलन के 80 प्रतिशत क्रांतिकारी , आर्यसमाजी थे । इनके लेखो व पत्रिकाओ मे भी ये बात देखने में आती हैं। जिनमे कि गप्प और झूठ लिख लिखकर ये स्वयं का इतना महिमामंडन करते हैं कि...

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दयानंद के भंग की तंरग ( Dayanand Ke Bhang Ki Tarang )

दयानंद की पोप लीला दयानंद जैसा धुर्त जो खुद की कही बात से पलट जाए पुरे विश्व में नहीं मिलेगा _________________________________ स ब्रह्मा स विष्णुः स रुद्रस्स शिवस्सोऽक्षरस्स परमः स्वराट्।...स इन्द्रस्स कालाग्निस्स चन्द्रमाः।।७।। -कैवल्य उपनिषत्।   भावर्थ : सब जगत् के बनाने से ‘ब्रह्मा’, सर्वत्र व्यापक होने से...

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दयानंदभाष्य खंडनम्- भूमिका ( Dayanand Bhasya Khandanam Bhumika )

भूमिका : ______________________________________________________________________ दयानंद ने अपनी मृत्यु से कुछ महीनों पहले सन् 1882 में इस ग्रन्थ के दूसरे संस्करण में स्वयं यह लिखा-नियोग् ... जिस समय मैंने यह ग्रन्थ ‘सत्यार्थप्रकाश’ बनाया था, उस समय और उस से पूर्व संस्कृतभाषण करने, पठन-पाठन में संस्कृत ही बोलने और जन्मभूमि की...

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सत्यार्थ प्रकाश के लेखक की उड़ रही हैं धज्जियाँ ( Dayanand Ki Ud Rahi He Dhajiya )

सत्यार्थ प्रकाश के लेखक की उड़ रही हैं धज्जियाँ यहाँ नकारते हुए प्रमाण विज्ञान की तरफ से। चलिए आज जरा स्वामी दयानन्द सरस्वती जी के अद्भुत ज्ञान-विज्ञान पर दृष्टिपात करते हैं। सब चिकित्सा से सम्बन्धित इस विषय को इतना तो अवश्य जानते होंगे जितना मैं जिक्र करने जा...

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सत्यार्थ प्रकाश के लेखक दयानंद चले डॉक्टर बनने ( Satyarth Prakash Ka Lekhak Bana Doctor )

सत्यार्थ प्रकाश के लेखक दयानंद चले डॉक्टर बनने । स्वामी जी कहने को तो ब्रह्मचारी थे पर थे बड़े रंगीले टाइप के औरतों से मजें लेने का एक मौका नहीं चूकते कभी योनिसंकोचन के नाम पर बेचारी मासूम औरतों का चुतिया काटते तो कभी स्तन के छिद्र पर औषधि लेप कैसे...

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एक मूर्ख को पूरी दुनिया मूर्ख ही दिखाई पड़ती है ( Maha Dhurt Dayanand )

✴✴ दयानंदभाष्य खंडनम् - ४ ✴✴ ये देखिए इस धूर्त को सत्यार्थ प्रकाश के अपने एकादश समुल्लास में ये बोलता है कि नानक जी को ज्ञान नहीं था अब ज्ञान था या नहीं था मैं इस चक्कर में नहीं पडना चाहता। परन्तु दुसरो का अपमान करने वाला , दुसरो...

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दयानंद सनातन धर्म का शत्रु ( Dayanand Sanatan Dharm Ka Shatru )

✴✴ दयानंदभाष्य खंडनम् -३ ✴✴ दयानंद ने वेदआदि भाष्यों के साथ छेडछाड क्यों किया इन सबके पिछे स्वामी जी का उद्देश्य क्या था ??आइए देखते है   सत्यार्थ प्रकाश सप्तम संमुल्लास :- दयानन्द जी लिखते है ।   अग्नेर्वा ऋग्वेदो जायते वायोर्यजुर्वेद: सुर्यात्सामवेद: ।।   स्वामी जी इसका...

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आँख से अँधा दिमाग से पैदल आर्य समाज ( Ankh Se Andha Dimag Se Paidal Arya Samaj )

नियोग समाज द्वारा ब्राह्मणों पर एक आरोप अक्सर लगता आया हे वो ये की पुराणों की रचना ब्राह्मणों ने की थी और उसमे मिलावट भी कर दी थी इसलिए वो पुराणों को नहीं मानते..... अरे मूर्ख अल्पज्ञ समाजीयो जरा इस पर भी तो सोच विचार करकें देखो कि...

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चाणक्य नीति : सत्रहवां अध्याय ( Chanakya Neeti : Seventeenth Chapter )

☞ वह विद्वान जिसने असंख्य किताबो का अध्ययन बिना सदगुरु के आशीर्वाद से कर लिया वह विद्वानों की सभा में एक सच्चे विद्वान के रूप में नहीं चमकता है. उसी प्रकार जिस प्रकार एक नाजायज औलाद को दुनिया में कोई प्रतिष्ठा हासिल नहीं होती. ☞  हमें दुसरो से...

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चाणक्य नीति : सोलहवां अध्याय ( Chanakya Neeti : Sixteenth Chapter )

☞ स्त्री (यहाँ लम्पट स्त्री या पुरुष अभिप्रेत है) का ह्रदय पूर्ण नहीं है वह बटा हुआ है. जब वह एक आदमी से बात करती है तो दुसरे की ओर वासना से देखती है और मन में तीसरे को चाहती है. ☞  मुर्ख को लगता है की वह...

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चाणक्य नीति : पन्द्रहवां अध्याय ( Chanakya Neeti : Fifteenth Chapter )

☞ वह व्यक्ति जिसका ह्रदय हर प्राणी मात्र के प्रति करुणा से पिघलता है. उसे जरुरत क्या है किसी ज्ञान की, मुक्ति की, सर के ऊपर जटाजूट रखने की और अपने शारीर पर राख मलने की. ☞  इस दुनिया में वह खजाना नहीं है जो आपको आपके सदगुरु...

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चाणक्य नीति : चौदहवां अध्याय ( Chanakya Neeti : Fourteenth Chapter )

☞  गरीबी, दुःख और एक बंदी का जीवन यह सब व्यक्ति के किए हुए पापो का ही फल है. ☞  आप दौलत, मित्र, पत्नी और राज्य गवाकर वापस पा सकते है लेकिन यदि आप अपनी काया गवा देते है तो वापस नहीं मिलेगी. ...

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चाणक्य नीति : तेरहवां अध्याय ( Chanakya Neeti : Thirteenth Chapter )

☞  यदि आदमी एक पल के लिए भी जिए तो भी उस पल को वह शुभ कर्म करने में खर्च करे. एक कल्प तक जी कर कोई लाभ नहीं. दोनों लोक इस लोक और पर-लोक में तकलीफ होती है. ☞  हम उसके लिए ना पछताए जो बीत गया....

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स्वामी विवेकानन्द सर्वश्रेष्ठ विचार- भाग ४ ( Swami Vivekanand Ke Suvichar )

◙ जब कभी मैं किसी व्यक्ति को उस उपदेशवाणी (श्री रामकृष्ण के वाणी) के बीच पूर्ण रूप से निमग्न पाता हूँ, जो भविष्य में संसार में शान्ति की वर्षा करने वाली है, तो मेरा हृदय आनन्द से उछलने लगता है। ऐसे समय मैं पागल नहीं हो जाता हूँ,...

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स्वामी विवेकानन्द सर्वश्रेष्ठ विचार- भाग ३ ( Swami Vivekanand Ke Suvichar )

    ◙ महाशक्ति का तुममें संचार होगा -- कदापि भयभीत मत होना। पवित्र होओ, विश्वासी होओ, और आज्ञापालक होओ।                                                                                                                             ~ स्वामी विवेकानन्द ◙ बिना पाखण्डी और कायर बने सबको प्रसन्न रखो। पवित्रता और शक्ति के साथ अपने आदर्श पर दृढ रहो और फिर तुम्हारे सामने कैसी...

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स्वामी विवेकानन्द सर्वश्रेष्ठ विचार- भाग २ ( Swami Vivekanand Ke Suvichar )

      ◙  श्रेयांसि बहुविघ्नानि अच्छे कर्मों में कितने ही विघ्न आते हैं। - प्रलय मचाना ही होगा, इससे कम में किसी तरह नहीं चल सकता। कुछ परवाह नहीं। दुनीया भर में प्रलय मच जायेगा, वाह! गुरु की फतह! अरे भाई श्रेयांसि बहुविघ्नानि, उन्ही विघ्नों की रेल पेल...

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स्वामी विवेकानन्द सर्वश्रेष्ठ विचार- भाग १ ( Swami Vivekanand Ke Suvichar )

◙ जो सत्य है, उसे साहसपूर्वक निर्भीक होकर लोगों से कहो–उससे किसी को कष्ट होता है या नहीं, इस ओर ध्यान मत दो। दुर्बलता को कभी प्रश्रय मत दो। सत्य की ज्योति ‘बुद्धिमान’ मनुष्यों के लिए यदि अत्यधिक मात्रा में प्रखर प्रतीत होती है, और उन्हें बहा ले...

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युगपुरुष स्वामी विवेकानंद का युवाओं को एक पत्र ( Swami Vivekand Ka patra Yuwao Ke Naam )

युगपुरुष विवेकानंद जी का एक पत्र  जिसमें उन्होंने भारतीय संस्कृति और धर्म का जन-जन में संचार करने के लिये युवाओं का आह्वान किया है। स्वामीजी ने अपने अल्प जीवन में धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र और प्रगतिशील समाज की परिकल्पना की थी। स्वामी जी ये पत्र 19 नवम्बर 1894 को न्युयार्क...

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स्वामी विवेकानंद के जीवन के तीन प्रेरक प्रसंग ( Swami Vivekanand )

प्रेरक प्रसंग : पुत्र के लिए प्रार्थना प्रत्येक माता के मन में यह भाव स्वाभाविक होता है कि उसकी संतान कुल की कीर्ति को उज्जवल करे. प्रथम दो संताने शिशुवय में ही मर गयी थीं, इसीलिए माता भुवनेश्वरी देवी प्रतिदिन शिवजी को प्रार्थना करती कि ‘हे शिव !...

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स्वामी विवेकानंद-संक्षिप्त जीवनी ( Swami Vivekanand Jivan Parichay )

भारत की पावन माती में,हुए अनेकों संत। एक उन्ही में उज्जवल तारा,हुए विवेकानंद ।। भारतीय पुनर्जागरण के अग्रदूत महापुरुषों में स्वामी विवेकानंद का अन्यतम स्थान है  भारतीय पुनर्जागरण के महान सेवक स्वामी विवेकानंद का जन 12 जनवरी सन 1863 में कल्केज में एक सम्मानित परिवार में हुआ था,...

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स्वामी विवेकानंद का राष्ट्र चिंतन ( Swami Vivekanand )

                                   स्वामी विवेकानंद एक ऐसे संत थे जिनका रोम-रोम राष्ट्रभक्ति से ओतप्रोत था। उनके सारे चिंतन का केंद्रबिंदु राष्ट्र था। भारत राष्ट्र की प्रगति और उत्थान के लिए जितना चिंतन और कर्म इस तेजस्वी संन्यासी ने किया उतना पूर्ण समर्पित राजनी‍तिज्ञों ने भी संभवत: नहीं...

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चाणक्य नीति : बारहवां अध्याय ( Chanakya Neeti : Twelfth Chapter )

☞  वह गृहस्थ भगवान् की कृपा को पा चुका है जिसके घर में आनंददायी वातावरण है. जिसके बच्चे गुणी है. जिसकी पत्नी मधुर वाणी बोलती है. जिसके पास अपनी जरूरते पूरा करने के लिए पर्याप्त धन है. जो अपनी पत्नी से सुखपूर्ण सम्बन्ध रखता है. जिसके नौकर उसका कहा...

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चाणक्य नीति : ग्यारहवां अध्याय ( Chanakya Neeti : Eleventh Chapter )

☞  उदारता, वचनों में मधुरता, साहस, आचरण में विवेक ये बाते कोई पा नहीं सकता ये मूल में होनी चाहिए. ☞  जो अपने समाज को छोड़कर दुसरे समाज को जा मिलता है, वह उसी राजा की तरह नष्ट हो जाता है जो अधर्म के मार्ग पर चलता है. ...

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चाणक्य नीति : दसवां अध्याय ( Chanakya Neeti : Tenth Chapter )

☞   जिसके पास धन नहीं है वो गरीब नहीं है, वह तो असल में रहीस है, यदि उसके पास विद्या है. लेकिन जिसके पास विद्या नहीं है वह तो सब प्रकार से निर्धन है.   ☞  हम अपना हर कदम फूक फूक कर रखे. हम छाना हुआ जल पिए....

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चाणक्य नीति : नवां अध्याय ( Chanakya Neeti : Ninth Chapter )

☞  तात, यदि तुम जन्म मरण के चक्र से मुक्त होना चाहते हो तो जिन विषयो के पीछे तुम इन्द्रियों की संतुष्टि के लिए भागते फिरते हो उन्हें ऐसे त्याग दो जैसे तुम विष को त्याग देते हो. इन सब को छोड़कर हे तात तितिक्षा, ईमानदारी का आचरण, दया,...

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चाणक्य नीति : आठवां अध्याय ( Chanakya Neeti : Eighth Chapter )

☞  नीच वर्ग के लोग दौलत चाहते है, मध्यम वर्ग के दौलत और इज्जत, लेकिन उच्च वर्ग के लोग सम्मान चाहते है क्यों की सम्मान ही उच्च लोगो की असली दौलत है. ☞  दीपक अँधेरे का भक्षण करता है इसीलिए काला धुआ बनाता है. इसी प्रकार हम जिस प्रकार...

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चाणक्य नीति : सातवां अध्याय ( Chanakya Neeti : Seventh Chapter )

☞  एक बुद्धिमान व्यक्ति को निम्नलिखित बातें किसी को नहीं बतानी चाहिए .. १. की उसकी दौलत खो चुकी है. २. उसे क्रोध आ गया है. ३. उसकी पत्नी ने जो गलत व्यवहार किया. ४. लोगो ने उसे जो गालिया दी. ५. वह किस प्रकार बेइज्जत हुआ है. ☞ ...

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चाणक्य नीति : छठवां अध्याय ( Chanakya Neeti : Sixth Chapter )

☞  श्रवण करने से धर्मं का ज्ञान होता है, द्वेष दूर होता है, ज्ञान की प्राप्ति होती है और माया की आसक्ति से मुक्ति होती है. ☞ पक्षीयों में कौवा नीच है. पशुओ में कुत्ता नीच है. जो तपस्वी पाप करता है वो घिनौना है. लेकिन जो दूसरो...

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चाणक्य नीति : पांचवा अध्याय ( Chanakya Neeti : Fifth Chapter )

☞ ब्राह्मणों को अग्नि की पूजा करनी चाहिए . दुसरे लोगों को ब्राह्मण की पूजा करनी चाहिए . पत्नी को  पति की पूजा करनी चाहिए तथा दोपहर के भोजन के लिए जो अतिथि आये उसकी सभी को पूजा करनी चाहिए . ☞  सोने की परख उसे घिस कर, काट...

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चाणक्य नीति : चौथा अध्याय ( Chanakya Neeti : Fourth Chapter )

  ☞ निम्नलिखित बातें माता के गर्भ में ही निश्चित हो जाती है.... १. व्यक्ति कितने साल जियेगा २. वह किस प्रकार का काम करेगा ३. उसके पास कितनी संपत्ति होगी ४. उसकी मृत्यु कब होगी . ☞  पुत्र , मित्र, सगे सम्बन्धी साधुओं को देखकर दूर भागते...

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चाणक्य नीति : तीसरा अध्याय ( Chanakya Neeti : Third Chapter )

☞  इस दुनिया  मे ऐसा किसका घर है जिस पर कोई कलंक नहीं, वह कौन है जो रोग और दुख से मुक्त है.सदा सुख किसको रहता है? ☞  मनुष्य के कुल की ख्याति उसके आचरण से होती है, मनुष्य के बोल चल से उसके देश की ख्याति बढ़ती...

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चाणक्य नीति : द्वितीय अध्याय ( Chanakya Neeti : Second Chapter )

☞  झूठ बोलना, कठोरता, छल करना, बेवकूफी करना, लालच, अपवित्रता  और निर्दयता ये औरतो के कुछ नैसर्गिक दुर्गुण है।    ☞ भोजन के योग्य पदार्थ और भोजन करने की क्षमता, सुन्दर स्त्री और उसे भोगने के लिए काम शक्ति, पर्याप्त धनराशी तथा दान देने की भावना - ऐसे...

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