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Hindu Mantavya: 2017
HinduMantavya
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सूर्याष्टकम् - आदिदेव नमस्तुभ्यं (Suryashtakam: Adi Deva Namastubhyam)

    आदिदेव नमस्तुभ्यं प्रसीद मम भास्कर । दिवाकर नमस्तुभ्यं प्रभाकर नमोऽस्तु ते ॥१॥ Aadi-Deva Namastubhyam Prasiida Mama Bhaaskara । Divaakara Namastubhyam Prabhaakara Namostu Te ॥1॥   सप्ताश्वरथमारूढं प्रचण्डं कश्यपात्मजम् । श्वेतपद्मधरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम् ॥२॥ Sapta-Ashva-Ratham-Aaruuddham Pracannddam Kashyapa-[A]atmajam । Shveta-Padma-Dharam Devam Tam Suuryam Prannamaamy[i]-Aham ॥2॥  ...

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दयानंद का अद्भुत विज्ञान | Dayanand Ka Vigyan

अपने अतिरिक्त सब को मुर्ख जानने वाले दयानंद की बुद्धि का एक नमूना आपको दिखाते हैं, उसके बाद आप ही यह निर्णय करें कि इस लेख को लिखने वाले दयानंद की बुद्धि कैसी रही होगी। सत्यार्थ प्रकाश नवम् समुल्लास पृष्ठ १७५, ❝(प्रश्न) यह जो ऊपर को नीला और...

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क्या चाणक्य मूर्तिपूजा विरोधी थे? | Kya Chankya Murtipuja Virodhi The

आर्य समाजी इस लेख का खंडन करके दिखाए! आर्य समाजी हमेशा यह तर्क देते है कि महान आचार्य चाणक्य मूर्तिपूजा विरोधी थे, लेकिन अपने पंथ को चलाए रखने के लिए ये इसी तरह के कई कुतर्क करते रहते है जो बिल्कुल निराधार साबित होते आए है- ...

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क्या क्रांतिकारी आर्य समाज से थे? | Kya Krantikari Arya Samaj Se The

आर्यसमाजी गपोड़ा     आर्यसमाजी अक्सर एक गप्प मारते हैं कि– स्वतन्त्रता आंदोलन के ८० प्रतिशत क्रांतिकारी, आर्यसमाजी थे, इनके लेखो व पत्रिकाओ मे भी ये बात देखने में आती हैं। जिनमे कि गप्प और झूठ लिख लिखकर ये स्वयं का इतना महिमामंडन करते हैं कि लगता है...

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सुधारक, निन्दक या सहायक | Sudhark Nindak Ya Shayak

सोशल मीडिया में प्रखर ज्ञानियों के कुछ कमेन्ट्स पढ कर केवल औपचारिकता के नाते केवल अपने विचार लिख रहा हूँ। यह किसी पर व्यक्तिगत आक्षेप नहीं मेरे निजि विचार हैं अगर किसी को तर्क-संगत ना लगे, तो ना आगे पढें और ना मानें। मेरे पास केवल ऐक साधारण...

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पशुहिंसक दयानंद- जिहादी दयानंद | Pashuhinsak Jihadi Dayanand

॥जिहादी दयानंद॥   दयानंद यजुर्वेदभाष्य, अध्याय १३ मंत्र ४८, ४९, इमं मा हिँ सीर् एकशफं पशुं कनिक्रदं वाजिनं वाजिनेषु। गौरम् आरण्यम् अनु ते दिशामि तेन चिन्वानस् तन्वो नि षीद। गौरं ते शुग् ऋच्छतु यं द्विष्मस् तं ते शुग् ऋच्छतु॥ ~यजुर्वेद {१३/४८} इम्ँ साहस्र्ँ शतधारम् उत्सं व्यच्यमान्ँ सरिरस्य मध्ये।...

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महर्षि या फिर महाचुतिया! | Mharishi Ya Fir Maha Chutiya

इस लेख के माध्यम से मैं आप लोगों के सामने दयानंद कृत यजुर्वेदभाष्य के कुछ ऐसे भाष्य रख रहा हूँ जिसे पढ़कर एक बार को आप लोगों की बुद्धि भी चकरा जायेगी आप लोगों को यही समझ में नहीं आयेगा कि दयानंद के इन भाष्यों पर हंसें, क्रोधित...

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स्वामी दयानंद एकादश नियोग की देन | Swami Dayanand Aekadas Niyog KI Dain

सनातन धर्म से भिन्न दयानंद द्वारा चलाए गये वेद विरुद्ध मतों में से एक मत है पशुधर्म नाम से विख्यात “नियोग प्रथा” दयानंद ने अपने तथाकथित ग्रंथ “सत्यार्थ प्रकाश” में लगभग पूरा एक समुल्लास इस पशुधर्म नियोग पर ही लिखा है, और वेदादि शास्त्रों के अर्थ का अनर्थ...

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नस्लभेदी जातिवादी “दयानंद” | Naslbhedhi Jativadi Dayanand

॥पैदाइशी चुतिया प्रकरण॥ हमारे दयानंदी गपोड़िये अक्सर एक बात कहते नहीं थकते कि दयानंद ने समाज में व्याप्त सामाजिक कुरीतियों पर आक्रमण करते हुए, जातिवाद का विरोध किया, तथा कर्म के आधार पर वेदानुकूल वर्ण-निर्धारण की बात कही, वे दलितोद्धार के पक्षधर थे, इसी प्रकार के और न...

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दयानंद का कामशास्त्र | Dayanand Ka Kaamshastra

      जिन भड़वे समाजियों का उद्देश्य सनातन धर्म ग्रंथों के उदाहरणों को गलत संदर्भ में प्रस्तुत करते हुए- धर्म के न जानने वालों के बीच भ्रम का भाव उत्पन्न कर उन्हें धर्म के मार्ग से विमुख करना है सनातनधर्मियों को अपमानित करना व उन्हें नीचा दिखाना,...

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सत्यार्थप्रकाशान्तर्गत दशम समुल्लास की समीक्षा | Dasham Samullas Ki Samiksha

सत्यार्थप्रकाशान्तर्गत दशम् समुल्लासस्य खंडनंप्रारभ्यते   इस समुल्लास को लिखते समय स्वामी जी अपनी बुद्धि न जाने कहाँ रखकर भूल गये, यह पूरा समुल्लास परस्पर विरुद्ध बातों से भरा हुआ है पहले तो स्वामी जी ने इसमें शूद्रों के हाथ का पका भोजन खाना लिखा और फिर बाद में...

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सत्यार्थप्रकाशान्तर्गत नवम् समुल्लास की समीक्षा | Navam Samullas Ki Samiksha

॥सत्यार्थप्रकाशान्तर्गत नवम् समुल्लासस्य खंडनंप्रारभ्यते॥   सत्यार्थ प्रकाश नवम् समुल्लास पृष्ठ १७५, ❝(प्रश्न) यह जो ऊपर को नीला और धूंधलापन दीखता है वह आकाश नीला दीखता है वा नहीं? (उत्तर) नहीं, (प्रश्न) तो वह क्या है? स्वामी जी इसका उत्तर यह लिखते हैं कि-- (उत्तर) अलग-अलग पृथिवी, जल और...

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सत्यार्थप्रकाशान्तर्गत अष्टम समुल्लास की समीक्षा | Ashtam Samullas Ki Samiksha

॥सत्यार्थप्रकाशान्तर्गत अष्टमसमुल्लासस्य खंडनंप्रारभ्यते॥     ॥सृष्टि उत्पत्ति प्रकरण॥   सत्यार्थ प्रकाश अष्टम समुल्लास पृष्ठ १५४,   ❝पुरुष एवेदँ सर्वं यद्भूतं यच्च भाव्य्म्। उतामृतत्वस्येशानो यदन्नेनातिरोहति॥४॥ -{यजुः अ० ३१/ मं० २} इसका अर्थ स्वामी जी यह लिखते हैं कि- "हे मनुष्यो! जो सब में पूर्ण पुरुष और जो नाश रहित...

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सत्यार्थप्रकाशान्तर्गत सप्तम् समुल्लास की समीक्षा | Saptam Samullas Ki Samiksha

सत्यार्थप्रकाशान्तर्गत सप्तम् समुल्लासस्य खंडनंप्रारभ्यते   सत्यार्थ प्रकाश सप्तम् समुल्लास पृष्ठ १३२, ❝त्रयसिंत्रशतिंत्रशता० इत्यादि वेदों में प्रमाण हैं इस की व्याख्या शतपथ में की है कि तेंतीस देव अर्थात् पृथिवी, जल, अग्नि, वायु, आकाश, चन्द्रमा, सूर्य और नक्षत्र सब सृष्टि के निवास स्थान होने से आठ वसु, प्राण, अपान,...

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सत्यार्थप्रकाशान्तर्गत षष्ठ समुल्लास की समीक्षा | Shasth Samullas Ki Samiksha

सत्यार्थप्रकाशान्तर्गत षष्ठसमुल्लासस्य खंडनंप्रारभ्यते   ॥राजधर्म प्रकरण॥   इस समुल्लास में दयनांद ने राजधर्म की व्याख्या की है इसमें सब ही श्लोक मनुस्मृति से लिखें है जो प्राचीन समय से आज तक सब लोग मानते चले आए हैं इसमें कोई मत विषयक चर्चा नहीं है, परन्तु इसमें दयानंद ने...

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सत्यार्थप्रकाशान्तर्गत पञ्चम समुल्लास की समीक्षा | Pancham Samullas Ki Samiksha

सत्यार्थप्रकाशान्तर्गत पञ्चमसमुल्लासस्य खंडनंप्रारभ्यते   सत्यार्थ प्रकाश पञ्चम समुल्लास पृष्ठ ९२,   ❝वनेषु च विहृत्यैवं तृतीयं भागमायुषः। चतुर्थमायुषो भागं त्यक्त्वा संगान् परिव्रजेत्॥ ~मनु०{६/३३} इस प्रकार वनों में आयु का तीसरा भाग अर्थात् पचासवें वर्ष से पचहत्तरवें वर्ष पर्यन्त वानप्रस्थ होके आयु के चौथे भाग में संगों को छोड़ के...

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सत्यार्थप्रकाशान्तर्गत चतुर्थ समुल्लास की समीक्षा | Chaturth Samullas Ki Samiksha

सत्यार्थप्रकाशान्तर्गत चतुर्थसमुल्लासस्य खंडनंप्रारभ्यते     ॥समावर्तनविवाह प्रकरणम्॥   सत्यार्थ प्रकाश चतुर्थ समुल्लास पृष्ठ ५८,   ❝असपिण्डा च या मातुरसगोत्र च या पितुः। सा प्रशस्ता द्विजातीनां दारकर्मणि मैथुने ॥ -मनु० [३/५] जो कन्या माता के कुल की छः पीढ़ियों में न हो और पिता के गोत्र की न हो...

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सत्यार्थप्रकाशान्तर्गत तृतीया समुल्लास की समीक्षा | tritiya Samullas Ki Samiksha

सत्यार्थप्रकाशान्तर्गत तृतीयासमुल्लासस्य खंडनंप्रारभ्यते   सत्यार्थ प्रकाश तृतीया समुल्लास पृष्ठ ३१ ❝कन्यानां सम्प्रदानं च कुमाराणां च रक्षणम्॥ ~मनु॰ ७/१५२ इसका अभिप्राय यह है कि इस में राजनियम और जातिनियम होना चाहिये कि पांचवें अथवा आठवें वर्ष से आगे अपने लड़कों और लड़कियों को घर में न रख सकें, पाठशाला...

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सत्यार्थप्रकाशान्तर्गत द्वितीय समुल्लास की समीक्षा | divitya Samullas Ki Samiksha

    सत्यार्थप्रकाशान्तर्गत द्वितीयसमुल्लासस्य खंडनंप्रारभ्यते ॥ शिक्षाप्रकरणम् ॥  सत्यार्थ प्रकाश द्वितीय समुल्लास पृष्ठ, २४ ❝धन्य वह माता है कि जो गर्भाधान से लेकर जब तक पूरी विद्या न हो तब तक सुशीलता का उपदेश करे❞ समीक्षा— स्वामी का यह लेख पढ़कर विदित होता है कि उनका मानसिक संतुलन...

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सत्यार्थप्रकाशान्तर्गत प्रथम समुल्लास की समीक्षा | Pratham Samullas Ki Samiksha

  यस्माज्जातम जगत्सर्वं  यस्मिन्नेव  प्रलीयते। येनेदं धार्यते चैव तस्मै ज्ञानात्मने  नमः॥   सत्यार्थप्रकाशान्तर्गतप्रथमसमुल्लासस्य खंडनंप्रारभ्यते   सत्यार्थ प्रकाश प्रथम समुल्लास पृष्ठ, ९ ❝ओ३म् शन्नो मित्रः शं वरुणः शन्नो भवत्वर्य्य मा। शन्नऽइन्द्रो बृहस्पतिः शन्नो विष्णुरुरुक्रमः॥ नमो ब्रह्मणे नमस्ते वायो त्वमेव प्रत्यक्षं ब्रह्मासि । त्वामेव प्रत्यक्षं बह्म्र  वदिष्यामि ऋतं वदिष्यामि सत्यं...

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सत्यार्थ प्रकाश अन्तर्गत भूमिका की समीक्षा | Satyarth Prakash Bhumika

  (सत्यार्थ प्रकाश) भूमिका पृष्ठ, १ "जिस समय मैंने यह ग्रन्थ ‘सत्यार्थप्रकाश’ बनाया था, उस समय और उस से पूर्व संस्कृतभाषण करने, पठन-पाठन में संस्कृत ही बोलने और जन्मभूमि की भाषा गुजराती होने के कारण से मुझ को इस भाषा का विशेष परिज्ञान न था, इससे भाषा अशुद्ध...

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