दयानंद,
दयानंदभाष्य खंडनम्
स्वामी जी की मूर्खता
स्वामी जी अपनी पुस्तक सत्यार्थ प्रकाश के द्वितीय संमुल्लास मे लिखते है
प्रसूता स्त्री अपने स्तन के छिद्र पर औषधि का लेप करे ...
जिससे दूध श्रावित ना हो ।।
प्रसूता स्त्री अपने स्तन के छिद्र पर औषधि का लेप करे ...
जिससे दूध श्रावित ना हो ।।
कमाल की बात है स्वामी जी ने इस औसधि के कही भी वर्णन नही किया की कौन सि औसधि है जिसका लेप करने से दूध श्रावित ना होगा ??
और मैंने सुना है की
प्रसूता स्त्री के स्तन मे यदि दूध श्रावित ना हो या मात्रा अधिक हो जाती है
तो काफी पीड़ा का सामना करना पड़ता है स्त्री को
फिर आज के डॉक्टर्स भी यही सलाह देते है पीड़ा दूध के अत्यधिक दबाव की वजह से है ।।
तो ऐसे मे दूध श्रावित ना होने देने से क्या तातपर्य है ??
स्वामी जी ओवर स्मार्ट बनने के चक्कर में ये भी भूल गए की वो एक ब्रह्मचारी है और एक ब्रह्मचारी को स्त्री चर्चा शोभा नहीं देता !
ऐसे धूर्तो से तो भगवन ही बचाये
और मैंने सुना है की
प्रसूता स्त्री के स्तन मे यदि दूध श्रावित ना हो या मात्रा अधिक हो जाती है
तो काफी पीड़ा का सामना करना पड़ता है स्त्री को
फिर आज के डॉक्टर्स भी यही सलाह देते है पीड़ा दूध के अत्यधिक दबाव की वजह से है ।।
तो ऐसे मे दूध श्रावित ना होने देने से क्या तातपर्य है ??
स्वामी जी ओवर स्मार्ट बनने के चक्कर में ये भी भूल गए की वो एक ब्रह्मचारी है और एक ब्रह्मचारी को स्त्री चर्चा शोभा नहीं देता !
ऐसे धूर्तो से तो भगवन ही बचाये
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