आर्य समाज एवं नास्तिको को जवाब,
आर्य समाज मत खण्डन
दयानंद का अद्भुत विज्ञान | Dayanand Ka Vigyan
20:07 उपेन्द्र कुमार 'हिन्दू' 2 Comments
अपने
अतिरिक्त सब को मुर्ख जानने वाले दयानंद की बुद्धि का एक नमूना आपको दिखाते हैं, उसके
बाद आप ही यह निर्णय करें कि इस लेख को लिखने वाले दयानंद की बुद्धि कैसी रही होगी।
सत्यार्थ प्रकाश नवम् समुल्लास
पृष्ठ १७५,
❝(प्रश्न) यह जो ऊपर को नीला और
धूंधलापन दीखता है वह आकाश नीला दीखता है वा नहीं?
(उत्तर)
नहीं,
(प्रश्न)
तो वह क्या है?
स्वामी
जी इसका उत्तर यह लिखते हैं कि--
(उत्तर)
अलग-अलग पृथिवी, जल और अग्नि के त्रसरेणु दीखते हैं। उस में जो नीलता दीखती है वह अधिक
जल जो कि वर्षता है सो वही नीला दिखाई पड़ता है❞
समीक्षक-- पता नहीं स्वामी जी अपने आपको क्या
समझते हैं दो कौड़ी की बुद्धि नहीं इनमें और चले हैं वैज्ञानिक बनने, लिखा है कि आकाश
का नीला रंग उसमें उपस्थित जल के कारण दिखाई पड़ता है जो वर्षता है सो वही नीला दिखाई
पड़ता है, धन्य हे! भंगेडानंद तेरी बुद्धि, अब कोई स्वामी भंगेडानंद जी से यह पूछे
कि यदि जल के कारण आकाश का रंग नीला दिखाई पड़ता है तो फिर बादलों में तो लबालब पानी
भरा होता है फिर वह काले सफेद रंग के क्यों दिखाई पड़ते हैं?