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क्या क्रांतिकारी आर्यसमाज से थे ? ( Arya Samaji Gapoda )

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आर्यसमाजी गपोड़ा :
आर्यसमाजी अक्सर एक गप्प मारते हैं कि – स्वतन्त्रता आंदोलन के 80 प्रतिशत क्रांतिकारी , आर्यसमाजी थे । इनके लेखो व पत्रिकाओ मे भी ये बात देखने में आती हैं। जिनमे कि गप्प और झूठ लिख लिखकर ये स्वयं का इतना महिमामंडन करते हैं कि लगता है जैसे इस राष्ट्र के लिए व धर्म के लिए केवल और केवल आर्यसमाज ने ही कार्य किए हैं , इन्हौने ही बलिदान दिये हैं। आर्यसमाज के ही लोगो द्वारा लिखे गए झूठ से भरे पुलिंदे ही इनके लिए इतिहास का प्रमाण होते हैं। इतना और इस तरह से महिमामंडन कि युवा आर्यसमाजी तो इतने सनकी हो जाते है कि उनके दिमाग मे यह भर जाता हैं कि -स्वतन्त्रता आंदोलन में “भी” सबसे बड़ा योगदान इन्ही का था । अब इनके इस दावे की वास्तविकता देखिये —


सरकारी आकड़ों के अनुसार , अंग्रेज़ो से लड़ते हुये सात लाख से अधिक क्रांतिकारी बलिदान हुये थे । तो इन गपोड़ियों के अनुसार साढ़े पाँच लाख से अधिक क्रांतिकारी आर्यसमाजी होने चाहिए ? इस पर सबसे पहला प्रश्न ही इनकी पोल खोल देता हैं कि — “ये आकडा तुम कहा से लाये ? इसका आधार क्या हैं ? किसी भी ओथेन्टिक इतिहासकार का एक प्रमाण दिखा सकते हो ? दूसरी बात — क्या तुम इसे सिद्ध कर सकते हो ? राष्ट्रीय अभिलेखागार से इस सूची को प्राप्त करो और दिखाओ न ? ….वास्तविकता निकल कर ये सामने आएगी कि 80 तो क्या 20 प्रतिशत भी खींचतान से नहीं निकलेंगे ।

अब इनका क्रांतिकारियों को आर्यसमाजी बनाने का फॉर्मूला नंबर 1 देखिये — चूंकि उस समय आर्यसमाज क्रांतिकारियों की मदद करता था, व इससे संबन्धित गतिविधियो मे संलग्न रहकर, अपना योगदान दे रहा था। आर्यसमाज के मंदिरो में भी क्रांतिकारी छुपा करते थे व गुप्त मंत्रणाए भी होती थी, राष्ट्रभक्ति की बात भी होती थी । इनके अनुसार वो सब आर्यसमाजी हो जाते हैं। केवल इस कारण से कई क्रांतिकारियों ने इनकी प्रशंशा की, तो उनकी ये प्रशंशा कि – “आर्यसमाज मे देशभक्ति अच्छी हैं, विचारधारा अच्छी हैं । तो ये उसे दिखाएंगे और कहेंगे – ये देखो ये भी आर्यसमाजी थे। मतलब मे कह दु कि – अमेरिका की सुरक्षा व्यवस्था बेमिसाल हैं , तो क्या में अमेरिकी हो जाऊंगा ? दयानंद या आर्यसमाज को किसी एक कारण से कोई पसंद करता हो तो वो आर्यसमाजी नहीं हो जाता । अन्यथा जो जो आर्यसमाजी अब्दुल कलाम को पसंद करते हैं, क्या वो मुसलमान मान लिए जाये ?


फॉर्मूला न॰ – 2 हैं कि किसी क्रांतिकारी के माता , पिता, चाचा, ताऊ, फूफा, मौसी से लेकर दूर से दूर तक की रिश्तेदारी में अगर एक भी व्यक्ति आर्यसमाजी हैं तो फिर उस क्रांतिकारी को भी ये आर्यसमाजी घोषित कर देते हैं, बेशक उस क्रांतिकारी का स्वयं आर्यसमाज से धार्मिक सम्बंध बिलकुल न हो। और कमाल की बात , कुछ आर्यसमाजी तो अपनी पुस्तकों में उस क्रांतिकारी का प्रेरणास्त्रोत व मार्ग दिखाने वाला भी उसी अरायसमाजी संबंधी को घोसित कर देते हैं। उदाहरण के तौर पर ये भगत सिंह को भी आर्यसमाजी बताते हैं, जब कि उनके माता-पिता आर्यसमाजी थे, वे नहीं ।

उस समय गरम दल के सबसे अधिक क्रांतिकारी महाराष्ट्र और बंगाल ने दिये। बंगाल के लगभग सभी क्रांतिकारी माँ दुर्गा के उपासक थे , वहा उद्घोषणा ही ये हुयी थी कि – “माँ दुर्गा के लिए बलिदान देने का समय आ गया हैं ” ।आर्यसमाजी थे क्या ये ? महाराष्ट्र मे तब आर्यसमाज का प्रभाव न के बराबर थे, वहा के नब्बे प्रतिशत से अधिक क्रांतिकारी मराठी हिन्दू थे। पंजाब की ओर जाओ वहा सिक्ख क्रांतिकारियों का बाहुल्य था, कूका विद्रोही गुरुमुख सिंह आर्यसमाजी थे क्या? जहा साढ़े पाँच सौ कूका-विद्रोहियो को तोप के मुंह पर बांधकर उड़ा दिया गया था । कितने आर्यसमाजी थे इनमे ?

नेता जी सुभाषचन्द्र बॉस की ‘आजाद हिन्द फोज’ के लाखो सैनिको मे कितने आर्यसमाजी थे गपोड़ियों? जब कि इसमे बंगाल के ही सैनिक अधिक थे, लगभग साठ हजार ।सुखदेव थे, राजगुरु थे, उधम सिंह थे, नाना भाई भैरव जी थे, बिरसा मुंडा थे, सावरकर थे, राजबिहारी बॉस थे, खुदीराम बॉस थे, प्रभल चन्द्र थे … अनेक थे । शर्म नहीं आती इतना बड़ा झूठ बोलते हुये, कि 80 प्रतिशत क्रांतिकारी आर्यसमाजी थे ? मंगल पांडे, रानी लक्ष्मीबाई, तांत्या टोपे, नाना साहब पेशवा आदि और इनके सैनिको में कितने आर्यसमाजी थे ?

और इससे पहले जो संघर्ष हुये , तब कहा थे आर्यसमाजी? छत्रपति शिवाजी महाराज कौन थे ? हिन्दूहदयसम्राट थे या आर्यसमाजहदयसम्राट ??? महाराणा प्रताप आदि क्रांतिकारी ये धर्मयोद्धा आर्यसमाजी थे क्या ? इनकी सेना जो मुगलो से लड़ी , लाखो बलिदान हुये , ये आर्यसमाजी सेना थी क्या, तब कहा था आर्यसमाज ? इन्हे देशभक्ति का पाठ , धर्मभक्ति का पाठ आर्यसमाज ने पढ़ाया था क्या ? कहते है हमने बचाया , ये तुमने बचाया ? कहते है हमने सिखाया । ये सिखाएँगे हम हिन्दुओ को देशभक्ति जिनके यहा बीस बीस वर्ष के लड़के तक हसते हसते फांसी पर चढ़ गए, ये सिखाएँगे हमे धर्म के लिए बलिदान देना जहा दस दस वर्ष के बच्चो तक ने अपना धर्म छोड़, इस्लाम नहीं कुबूला और शरीर के हसते हसते टुकड़े करवा लिए । हिन्दुओ से अधिक बलिदान इस राष्ट्र के लिए किसने दिये हैं ? इसलिए इनके किसी भी गपोड़े की सत्यता परखे हिन्दुओ को इनकी किसी भी बात पर विश्वास नहीं करना चाहिए । हा आर्यसमाजी चाहे तो ये कह सकते है कि उस समय 80 प्रतिशत आर्यसमाजी कोंग्रेसी थे ।

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