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सनातन धर्म के दीमक- आर्य समाज ( Sanatan Dharm Ka Dimak Arya Samaj )

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साथियो, आप सभी को एक बात बताना चाहता हूँ की पिछले १५० -२०० वर्षो में सनातन धर्म को तोड़ने में जितना योगदान “आर्य

समाज” का रहा उतना किसी और का नहीं रहा ।
ये लोग खुद को वैदिक धर्म के रक्षक और प्रचारक कहते है मै आज इनसे कुछ प्रश्न पूछना चाहता हूँ –

 
१. आप खुद को वैदिक कहते हो और वेदो की शाखा पुराणो का विरोध करते हो क्यों ?

२. आपको कैसे पता की पुराणो में लिखी सभी बाते हमारे ऋषि मुनिओ ने ही लिखी है उनमे किसी प्रकार की कोई मिलावट नहीं हुई थी ?

३. सत्यार्थ प्रकाश के कुल १४ समुल्लसो में से आप लोगो ने केवल ११ वां ही समुल्लास ही पढ़ा क्यों ?

४. बाकि के १३ समुल्लसो में जो वेदो के ज्ञान (तथाकथित ) की बाते बताई गई है उनका प्रचार प्रसार क्यों नहीं करते हो ?

५. गायत्री परिवार के श्रीराम शर्मा जी ने भी सत्यार्थ प्रकाश का अध्ध्य्यन किया था और किन्तु क्या कारन रहा की उन्होंने उसको त्याग कर स्वयं ने गृहस्थ में रह कर वेदो का अध्ध्य्यन किया और वे सभी पौराणिक देवी देवताओ की पूजा करते है । और गायत्री परिवार की स्थापना की और आज आर्य समाज मुट्ठी बाह भी नहीं है और गायत्री परिवार के प्रचारक सभी देश विदेश में वेदो के ज्ञान का प्रचार प्रसार कर रहे है ?

६. आप लोग कहते है की आजादी की लड़ाई में सबसे अधिक आर्य समाज के लोगो का ही योगदान था, तो क्या झांसी की रानी, तात्या टोपे, मंगल पाण्डेय, भगत सिंह, चन्द्र शेखर आजाद, राम प्रसाद बिस्मिल ओर भी लाखो वीरो ने सत्यार्थ प्रकाश को ही पढ़ा था ?

७. आप लोगो को “हिन्दू” और “हिंदुत्व” शब्द से ईर्ष्या है जबकि वीर सावरकर ने जेल में पूरी सत्यार्थ प्रकाश को पढ़ लिया था फिर भी उन्होंने कहा था की “हिंदू और हिदुत्व की रक्षा करना मेरा परम कर्तव्य है ” क्यों ? जबकि तुम्हारे सत्यार्थ प्रकाश के अनुसार तो हिन्दू और हिंदुत्व तो गाली है ।
 

८ . आज जितने भी गैर हिन्दू ने जो वैदिक धर्म को स्वीकार किया है उन सभी ने भी सत्यार्थ प्रकाश को भी अच्छी तरह से पढ़ा और अध्यन किया फिर वे लोग तो सिर्फ वेदो के ज्ञान की बात क्यों करते है वे लोग पुराणो की मिळवतो को आप सभी के जैसे प्रचार नहीं करते है ? – डॉ महेंद्र पाल आर्य, फरहाना ताज, नेज़ अहमद सिद्दीकी और भी कई लोग है ।

९ . तुम लोग अपने नाम के पीछे आर्य लगवाने को गौरव महसूस करते हो, अरे भाई पहले आर्य जितने महान तो बन जाओ और हमारा पूर्ण आर्यव्रत को तो पुनः हासिल कर लो फिर आर्य बोलना ?

१० . तुम लोग बोलते हो की वेदो में मूर्ति पूजा वर्जित है अरे तो भाई तुम लोगो ने क्यों स्वामी दयानंद का चित्र लगते हो ? सनातन धर्म के बहुत विद्वान संत हुए थे “श्री राम सुखदास जी महाराज” उनको ४० साल तक गले का कैंसर था फिर उन्होंने कोई इलाज नहीं करवाया और उन्होंने ४० वर्ष पूर्व ही अपनी वसीयत लिख डाली की मेरी कोई भी वस्तु को मेरी मृत्यु के बाद मेरे साथ ही नष्ट कर देना । अरे उनका तो चित्र भी नहीं लेने दिया उन्होंने । वो भी वेदो के ज्ञाता थे पर उन्होंने कभी पुराणो का अपमान नहीं किया ।

आज जाकिर नैक जैसे जितने भी मुल्ले है वे लोग सनातन धर्म का मजा इसलिए बनाते है क्यों की आप जैसे दिमक हमारे सनतान धर्म की जड़ को खोखला कर रहे हो । आप स्वयं को वेदो का ज्ञाता कहते हो तो वेदो के ज्ञान का प्रचार प्रसार करो न तुम खुद ने तो वेदो को कभी जानने का प्रयत्न किया नहीं और मुर्ख मुल्लो के जैसे कुरआन (सत्यार्थ प्रकाश) में लिखी बातो में पर अंधे हो कर बकने लगे । खुद को इतना ही समझदार और सनातन धर्म का रक्षक मानते हो तो वेदो को स्वयं पढ़ो और फिर उस ज्ञान का प्रचार करो । या तुम लोगो में वेदो को समझने की मेहनत नहीं करना चाहते हो सीधे ही उस सत्यार्थ प्रकाश को ही वेद मान बैठे हो ?
“हमें तो लूटा अपनों ने, गैरो में कहा दम था ।
हमारी कश्ती भी वहीँ डूबी जहाँ पानी कम था । ”


                                                                                                                                    जय माँ भारती
                                                                                                                               साभार ~ मनीष गुप्ता

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4 comments

  1. मुझे लगता है तुम सिर्फ बकबक करना जानते हो।

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  2. यदि आपमें हिम्मत है तो आर्य समाजियों से शास्त्रार्थ करें

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  3. तुम्हारी कोई बात मुझे मुझे तर्क संगत नहीं लगी बस बक बक कर रहे हो

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  4. THE DRAVIDIAN CHE !

    https://timesofindia.indiatimes.com/india/genocidal-call-udhayanidhi-stalins-remarks-against-sanatana-dharma-draw-bjp-fire/articleshow/103325217.cms?from=mdr

    STARTING WITH TAMIL NADU - NATIONALISE ALL THE HIINDU TEMPLES AND TAKEOVER ALL THEIR ASSETS AND GOLD ! FROM WHERE ALL THIS GOLD COME ? FROM THE SWEAT AND BLOOD OF DALITS !

    In Volume 4 of a book, titled as "Dr. Babasaheb Ambedkar : Writings and Speeches",printed by Dr. Ambedkar Foundation,Ministry of Social Justice & Empowerment, Govt. of India,and which is uploaded by the MEA on its portal (as linked below),there is an extract,which is relevant to the Times and Travails of India Today

    https://www.mea.gov.in/Images/attach/amb/Volume_04.pdf

    “If the Hindu intellect has ceased to grow and if the Hindu civilization and culture has become a stagnant and stinking pool, this dogma [of the infallibility of the Vedas] must be destroyed root and branch if India is to progress. The Vedas are a worthless set of books. There is no reason either to call them sacred or infallible.Nobody had the courage to ask why these worthless books which contain nothing but invocation to tribal Gods to destory the Enemies, loot their property and give it to their followers (have been made sacred and infallible).But the time has come when the Hindu mind must be freed from the hold which the silly ideas propagated by the Brahmins, have on them. Without this liberation India has no future. I have undertaken this task knowing fully well what risk it involves. I am not afraid of the consequences.”

    THIS IS WHAT AMBEDKAR SAID ON SHIVA In Volume 4 of a book, titled as "Dr. Babasaheb Ambedkar : Writings and Speeches",printed by Dr. Ambedkar Foundation,Ministry of Social Justice & Empowerment, Govt. of India,and which is uploaded by the MEA on its portal (as linked below),there is an extract,on Shiva, which is relevant today,and is WRITTEN in the hand of Bhim Rao Ambedkar

    “Now in the Taiteriya Samhita of the Yajur-Veda there is a hymn in praise of Rudra. In this hymn Rudra i.e. Shiva is described as the lord of thieves, robbers, dacoits, as the King of the degraded, of potters and blacksmiths. The question is how did the Brahmins venture to accept this king of thieves and robbers as their supreme God?”

    SO DALITS HAVE TO EXTERMINATE THE BRAHMINS AND KSHATRIYAS ! ALL REFORMERS IN THE LAST 5000 YEARS HAVE FAILED ! THE REFORMERS COME,DIE AND IN A 100 YEARS THEIR MOVEMENT DIES ! BUDDHA ALSO FAILED IN INDIA !

    AWAKEN AND EXTERMINATE THE BANIAS,BRAHMINS AND KSHATRIYAS !

    AMBEDKAR IN HIS BOOK STATES THAT SHIVA SENT AN ARMY OF DEMONS TO KILL BRAHMINS,DESTROY THEIR RITUALS,RAVISH THEIR WIVES AND HE HIMSELF KILLED BRAHMINS AND CUT OFF THE HEAD OF DAKSHA THE FATHER OF HIS WIFE

    ‘ Some broke the sacrificial vessels, others destroyed the fires, others made water in the ponds, others cut the boundary-cords of the sacrificial ground: others assaulted the Munis, others reviled their wives: others seized the gods who were near, and those who had fled. . . . 19. The divine Bhava (Siva) plucked out the beard of Bhrigu, who was offering oblations with a ladle in his hand. and who had laughed in the assembly, showing his beard. He also tore out the eyes of Bhaga, whom in his wrath he had felled to the ground, and who, when in the assembly, had made a sign to (Daksha when) cursing (Siva) He moreover knocked out the teeth of Pushan (as Bala did the king of Kalinga’s). who (Pushan) had laughed, showing his teeth, when the great god was being cursed. Tryambaka (Siva, or Virabhadra, according to the commentator) then cuts off the head of Daksha, but not without some difficulty.

    IT IS TIME FOR THE DRAVIDIANS TO AWAKEN AND SECEDE ! dindooohindoo

    ReplyDelete

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