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आर्य का मतलब होता है श्रेष्ठ

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कुछ लोग खुद को इसलिए आर्य कहते है क्योंकि इस देश का नाम कभी आर्यव्रत होता था
रामायण महाभारत मे भी आर्य का सम्बोधन आया है ।।
मगर क्या ये संबोधन क्या किसी भी व्यक्ति विशेष के लिए था ??
या उस वक़्त के लोग खुद को आर्य ( श्रेष्ठ ) कहते थे ??

जवाब है नही बिल्कुल नही

उस वक़्त भी दुसरो के द्वारा भी “आर्यपुत्र” “आर्यमाता” “आर्यपत्नी” का संबोधन मिलता है
एक भी ऐसा उदाहरण नही है जिसमे किसी ने खुद को आर्य कहा हो ।।
कहते भी तो कैसे ??
उस वक़्त के लोग इतने मूर्ख नही थे ।।
आज के कुछ आर्य समाजी अपने नाम के साथ “आर्य” जोड़कर चलते है
मतलव खुद को श्रेष्ठ बताते है ।।
एक ने कल कहा भी “हा मैं आर्य हु क्या आप नही हो ??
मैंने कहा जी मैं आर्य नही हु ।

तो भइया इ बताव की खुद को महान मान लेना या खुद को श्रेष्ठ बता देना कहा की महानता का परिचय है ??
कभी किसी महाऋषि के मुह से सुना है कभी ये कहते हुए की मैं महाऋषि हु ??
नही ये “आर्य” या फिर कोई भी महान उपाधि जैसे स्वामी महाऋषि ज्ञानी बहुत सि है ये सब दुसरो के द्वारा मिलती है ।।

मतलब ये तथाकथित आर्य बुद्धिहीन मनुष्य है क्योंकि अगर इनमे थोड़ा स भी ज्ञान ्होंता तो ये खुद को कभी आर्य ( श्रेष्ठ ) न कहते ।।
ये बहुत ही हास्यपद है ।।
जैसे अविष्कार करने से पहले ही कोई खुद को अविष्कारक घोषित कर देता है ।
बच्चा पैदा होते ही खुद डॉक्टर बताने लगे ।।
या ये कहे की बेटा खुद को बाप कहने लगे

आइये देखते है इनके विचारो को ।।
1). इनके मतानुसार हमारी पूजा पदध्यति गलत है और ये उसका पुरजोर विरोध करते है
पूछा जाता है क्यों ??
तो कहते है वेदों मे है

पहली बात – जिन महापुरुषो के लिए जिन्होंने समस्त मानव जाती का कल्याण किया
हम हिन्दू उसकी ही प्रतिमा पूजते है जो हमारे पूर्वज रहे है ।
जैसे आज हमारे माता पिता है ठीक उसी तरह वो भी हमारे माता पिता के समान है
और माता पिता सर्वप्रथम पूजनिय है ।

दूसरी बात – रही बात साकार भक्ति की तो भाइया वेदों मे ऐसा कहा लिखा है की हम ईश्वर को साकार रूप नही दे सकते ???

तीसरी बात – निराकार का मतलब भी यही होता है की उसको जिस रूप मे पूज लो वो उसी रूप मे तुम्हे मिल जायेगा ।।

चौथी और अहम बात – जैसे समुद्र के जल की सभी समुद्रिक विशेषतायें लोटे के जल में भी होती हैं उसी तरह चूहे में भी ईश्वरीय विशेषतायें होना स्वाभाविक है। लेकिन वह परिपूर्ण नहीं है और वह ईश्वर का रूप नहीं ले सकता। आप निराकार वायु और आकाश को देख नहीं सकते लेकिन अगर उन में पृथ्वी तत्व का अंश ‘रंग’ मिला दिया जाये तो वह साकार रूप से प्रगट हो सकते हैं । यह साधारण भौतिक ज्ञान है जिसे समझा और समझाया जा सकता है। आम की या ईश्वर की विशेषतायें बता कर बच्चे और मुझ जैसे अज्ञानी को समझाया नहीं जा सकता लेकिन अगर उसका कोई माडल (प्रतिक चिन्ह) बना के दिखा दिया जाये तो किसी को भी मूल-पाठ सिखा कर महा-ज्ञानी बनाया जा सकता है। इस लिये मैं मूर्ति निहारने या उसे पूजा में ईश्वर के प्रतीक रूप में प्रयोग करने में कोई बुराई नहीं समझता। मूर्तियों का विरोध करना ही जिहादी मानसिक्ता है।
इसलिए ये ढकोसला तो बंद ही कर दो ।।
और मंदिर जाने एवं पूजा करने से कई सारे वैज्ञानिक लाभ भी है ।

2) आर्यो का मानना है की वो निराकार ब्रह्म की पूजा करते है निराकार को हि मानते है ।
एकभी आर्य समाजी दिखा दो जिसके घरो मे दयानंद जी की प्रतिमा न लगी हो ।।

3) आर्य पुराणों का विरोध करते है
कल मैंने एकसे पूछा की क्यों ??
तो उसने कहा पुराणों मे पाखंड है जैसे काली जी को बकरे की बलि देना
मैंने पूछा की किस पुराण मे ये जायज लिखा है ?
तो बंदे ने बोला “दि जाती है की नही ”
मैंने कहा हा दि जाती है तो बलि का विरोध करो
पुराणों का क्यों ??
बंदे का फिर जवाब नहि आया

ये भी बहुत हास्यपद है ठीक उसी तरह जब पुलिस चोर की जगह उसके खानदान को पीटने लगे ।।
और मैं दावे के साथ कह सकता हु इन आर्य समाजियों ने कभी भी कोई पुराण पढ़े ही नही ।।
न इन्हें थोड़ा स भी संस्कृत का ज्ञान है ये सिर्फ सत्यार्थ प्रकाश पढ़ कर खुद को श्रेष्ठ घोषित करते रहते है ।
एक से पूछा भी था मैंने की क्या आपने वेद पढ़े है ??
उसका जवाब आया नही लेकिन सत्यार्थ प्रकाश पढ़ी है
मैंने कहा मतलब आपने वेद नही पढ़े
उसने कहा की सत्यार्थ प्रकाश पढ़ लि तो वेद अछूता नही रहा
मैंने कहा की वाह क्या बात है तुम्हारे अनुसार वेद जो लगभग 9000 पन्नों मे लिखी गयी है और ईश्वरीय वाणी है उसकी तुलना एक मानव निर्मित 440 पन्नों की किताब से कर दिए
उसका भी जवाब नही आया ।।

4) इनका कहना है की आर्य समाज है तो हिन्दू है
आर्य समाज इस देश का रक्षक है ।।
ये एक विकृत मानसिकता का परिचय है ।।
मैं कहता हु आर्य समाज से हिन्दू कैसे सुरक्षित है ??
इनके द्वारा दिए गए उत्तर कुछ ऐसे होते है
स्वतंत्रता संग्राम मे 85% आर्य समाजी थे

ह ह ह ह
कमाल की बात है मैं एक को भी नही जानता
कुछ लोगो का नाम विशेष कर ये लेते है जैसे भगत सिंह चंद्र शेखर आजाद
मैं कहता हु जिन्होंने कभी ईश्वर का नाम तक नही लिया जिसके लिए उसका देश ही उसका भगवान था जिसके जीवन काल मे कभी वेदों की बात ही नही हुई वो आर्य समाजी हो सकता है क्या ??
और हिन्दुओ मे पैदा हुए सूरविरो के किस्से आज दुनिया पढ़ती है ।

5) आर्य मत के अनुसार हिन्दू शब्द एक गाली है
जो की फारसीयो द्वारा दि गयी ।।
ह ह ह ह ह ह ह ये भी बहुत हास्यपद है ।।
पूछने पर ये आर्य समाजी बताते है की फारसी शब्द कोश मे हिन्दू शब्द का मतलब चोर लुटेरा है ।।
लेकिन जब इनसे मैं पूछ लेता हु की फारसी कहा की भाषा थी ??
तो इनका जवाब आता है अरब की भाषा

ह ह ह हे इनके विवेक के अनुसार इनका जावाब सही होता है क्योंकि फारसी और अरबी एक ही जैसी भाषा है दिखने मे लेकिन फारसी संस्कृत से संबंध रखती है अरबी से नही जो की पारसियों की भाषा थी
लेकिन ये तथाकथिक श्रेष्ठ प्राणी उस वक़्त मर जाते है जब हम कहते है की फारसी ईरान की भाषा होती थी
जि हा वही ईरान जो भारत से 14वी सदी मे अलग हुआ और उसका इस्लामीकरण हो गया वही से कुछ बचे हुए पारसी भागकर भारत आये और गुजरात मे बसे आज सबसे जयदा अल्पसंख्यक भारत मे वही है और ये पारसियों का भी मूल ग्रंथ वेद ही है इनका प्रमुख धर्म ग्रंथ आवेस्ता है जो की 80% वेदों से है 20% मिलावट ।।
ये तो रहा फारसी का इतिहास

अब देखते है ईरान को इस देश को भारत से अलग होने के पूर्व ईरान और अफगानिस्तान के पूरे क्षेत्र को आर्याना कहा जाता था क्योंकि यहा आर्य बस्ते थे ।।
फिर फारसियों के शब्द कोश मे हिन्दू शब्द का अर्थ गाली कैसे हो सकता है ???
जाहिर सि बात है ये शब्द उसके इस्लामीकरण के बाद ही आया होगा ।।
ईरान का इस्लामीकरण हुआ 14वि सदि मे
फिर वो आगे बढ़े और भारत के लोगो को हिन्दू नाम दिया होगा ।।
अगर ये सत्य होता तो समस्त संसार के सनातनी खुद को हिन्दू नही कहते उनके लिए कोई और शब्द होना चाहिए था ।।

पारसी हिन्दुओ को गाली देंगे नही क्योंकि उनके आवेस्ता ग्रंथ मे हिन्दुओ को सम्मान गर्व से किया गया है
अब बचा ईरान मे आर्य
अब या तो आर्य ही ऐसा लिखेंगे फारसी भाषा मे कि हिन्दू का मतलब गाली है ( जो की तुम लोग आज भी देते हो ) और एक विदेसी भाषा को अपनाने का क्या प्रयोजन ??
मतलब साफ आर्य समाज ये मान ले की वो हिन्दू विरोधी है या फिर विदेसी ??
लेकिंन नही मैं नही मानता की ये विदेसि है
ये अपने ही भाई है जो भटक गए है ।।
हिन्दू शब्द हमारे लिए गौरव का प्रतीक है ।
आज ये विदेसी ताकतों कि चाल है हिन्दू शब्द को
बदनाम करने की और ये मूर्ख आर्य जुटे हुए है वही करने मे ।।

6) और आज तक मैंने कभी आर्य समाज को हिन्दुओ के साथ कभी किसी रैली मे साथ देते नहि देखा ना ही कभी किसी ऐसे कार्यो मे साथ देते देखा जो इस्लाम पर आघात हो
जमीनी स्तर पर सिर्फ तर्क वितर्क और कुतर्क के अलावा इन्होंने आज तक कुछ नही किया ।

7) इनका मत है की हिन्दुओ मे मूर्ति पूजा 2000 साल पहले शुरू हुई ।।
पता नही कैसे और कहा इन मूर्खो ने पढ़ लिया
जबकि कुछ दिन पहले अफ्रीका मे 6000 साल पुराना शिवलिंग मिला है ।
और अरब सागर मे 13000 साल पुराना श्री गणेश की प्रतिमा
इसके अलावा बिहार मे एक पश्चिमाभिमुख सूर्य मंदिर है
जिसकी दीवारो पर एक श्लोक जडा हुआ है श्लोक मे लिखा है की त्रेतायुग के 12 लाख वर्ष बित जाने पर इस मंदिर का निर्माण हुआ ।

अब आर्य समाज कहता है की सूर्य पूजा होती है आर्य समाजियों मे
तो निराकार ब्रह्म को मानने वालो को मंदिर की क्या जरूरत ??
साफ है की वो मंदिर भी हिन्दुओ की ही है ।
और उस मंदिर पर छठ पूजा के दौरान अपार भीड़ लगती है ।।
जबकि मूर्ति पूजा के ढेर सारे वैज्ञानिक लाभ भी है ।।
8) हद तो तब हो गयी जब कल कुछ आर्यो ने स्वामी विवेकानंद जि के चरित्र पर उंगली उठा दि
और एक भी आर्य समाज ने इसका विरोध नही किया
बल्कि जवाब ये आया की मुझे विवेकानंद जि के बारे मे कुछ नही पता
तो ये आर्य समाजी डूब कर क्यों नही मर जाते
विवेकानंद जि का चेप्टर तीसरी क्लास मे पढ़ाया जाता है
आर्य समाज विवेकानंद का विरोध सिर्फ इसलिए करता है क्योंकि उन्होंने हिन्दू धर्म का प्रसार किया पुरे विश्व मे ।।

और आर्य समाज के इकलौते प्रतिद्वंदी यही रहे ।।
इसलिए किसी मूर्ख ने विवेकानंद साहित्य लिख डाली और ये चमचे चल पड़े उसी राहपर ।।
अब आर्य समाज फैसला करे की वो क्या है ??
मैं इनको सिर्फ एक लकिर का फकीर कहता हु
एककुंथीत सोच का प्राणी जो केवल हिन्दुओ को तोड़ना जानता है बस
आर्य समाजियों और मुल्लो मे कोई फर्क नही ।
दोनो मूर्ति पूजा का विरोध करते है
दोनो हिन्दुओ को गालि बकते है
दोनो निराकार को ही मानते है
दोनो हिन्दुओ का परिवर्तन ही करते है एक आर्य समाज मे दूसरा मुस्लिम समाज मे
क्योंकि आर्य समाज हिन्दुओ का कभी भी साथ नही देता
मेने सैकड़ो आरयो से बात की मगर कोई तैयार नही हुआ ।।
स्वामी दयानंद जी ने ये भी कहा था की अगर भविष्य मे मुझसे कोई गलती हो जाये य मेरी कोई भी बात झूठी निकले तो अपने विवेक से काम ले
क्योंकि मैं भी इंसान हु ।।
और आज ये अपना विवेक बेच आते है कबाड़ मे इनको हिन्दू विरोध की घुट्टी पिलाई जाती है ।।

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